दामिनी !..
सरकार तुम्हारी शहादत भुलाना चाहेगी,
जितना जल्दी हो,
पर हम तुम्हें कभी नहीं भूलेंगे..
कभी नहीं..
तुम याद आओगी दामिनी!
जब-जब किसी मासूम को
झेलना पड़ेगा पुरुषवादी कहर
उसके स्त्री होने से
याद आओगी तुम
जब-जब कोई स्त्री उठाएगी आवाज
अपने हक के लिए
सुरक्षा के लिए
अधिकारों के लिए
तुम याद आओगी
जब-जब सरकार डरेगी
किसी ‘राह चलते’ ‘आम’ आदमी के
यूं अचानक ‘खास’ हो जाने पर
और घबराकर छिप जाएंगे
ये सरकारी नुमाइंदे
पुलिसिया बाड़ के पीछे
वैसे, सरकार को तुम्हें भूल ही जाना चाहिए
जितना जल्दी हो,
‘गले की फाँस’ हो जाते हैं
तुम्हारे जैसे लोग
क्योंकि तुम प्रेरणा बन गई हो
हम सबकी
सच के लिए लड़ने की
साहस के साथ आगे बढ़ने की
हम कभी भूलने नहीं देंगे तुम्हें
दामिनी !..
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