Tuesday, April 16, 2013

हिन्दुस्तान रोज़ मरता है ....

हिन्दुस्तान कल ही नहीं मरा था
जयपुर की सड़क पर
सोलह दिसंबर को दिल्ली में भी
मौत हुई थी
इसी हिन्दुस्तान की
गोहाना, मिर्चपुर, नागपुर, गुजरात में भी
मरने वाला
यही हिन्दुस्तान था
खैर, ये तो ताज़ा घटी मौतें हैं
वरना हिन्दुस्तान तो
सदियों से मरता रहा है
रोज ही
कमी नहीं आई है
आज तलक इसमें
जब-जब होता है बलात्कार
किसी मासूम का
चूसा जाता है खून
किसी मजलूम का
मारा जाता है हक
किसी मजबूर का
और हम देखकर भी कुछ नहीं करते
बने रहते हैं मूकदर्शक
तो मरता है, हिन्दुस्तान ही
पर ये मौतें कहीं दर्ज नहीं होतीं
न किसी इतिहास में
न पुलिस के रिकॉर्ड में..

2 comments:

sandhya said...

जय भाई ... आपका ब्लॉग देखा/ कविताएँ और लेख भी देखे/ वाकई आप बहुत सक्रिय हैं लेखन और दोस्त बनाने में / आप स्वयम् खुश रहतें हैं और दूसरों को भी खुशियाँ बाँटते हैं /

sandhya said...

हिन्दुस्तान रोज मरता है ... कविता सोचने पर मजबूर करती है और साथ में हमारी लाचारी को भी दर्शाती है. आप लिखते रहें / हमारी यही शुभ कामना है /